क्या आपके पीरियड्स जरूरत से ज्यादा भारी होते हैं? या फिर पेट के निचले हिस्से में अक्सर भारीपन और दर्द महसूस होता है? अगर हां, तो यह बच्चेदानी में गांठ (यूटेरिन फाइब्रॉइड्स) का संकेत हो सकता है। यह एक आम समस्या है, लेकिन हर महिला को इसके लक्षण महसूस नहीं होते। कुछ मामलों में ये गांठें बिना किसी परेशानी के रहती हैं, जबकि कुछ महिलाओं को असहज कर देती हैं और गर्भधारण में भी मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
बच्चेदानी में गांठ होने के कारण
बच्चेदानी में गांठ बनने का कोई एक कारण नहीं होता। यह ज्यादातर हार्मोनल असंतुलन, अनुवांशिक कारणों और जीवनशैली से जुड़ी होती है।
- हार्मोनल बदलाव: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का असंतुलन गांठ बनने की संभावना को बढ़ा सकता है।
- अनुवांशिक कारण: अगर परिवार में किसी महिला को फाइब्रॉइड्स हैं, तो अगली पीढ़ी में भी इसकी संभावना बढ़ सकती है।
- गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन: गर्भावस्था में हार्मोन का स्तर बढ़ने से गांठ तेजी से बढ़ सकती है।
- असंतुलित खान-पान: ज्यादा फैट, प्रोसेस्ड फूड और रेड मीट का सेवन हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकता है।
- मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर: रिसर्च बताती हैं कि अधिक वजन और हाई ब्लड प्रेशर का संबंध गर्भाशय की गांठ से हो सकता है।
गर्भाशय में गांठ के लक्षण
हर महिला में फाइब्रॉइड्स के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को कोई समस्या नहीं होती, जबकि कुछ को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- पीरियड्स में ज्यादा और लंबी ब्लीडिंग
- पेट के निचले हिस्से में दर्द या भारीपन
- बार-बार यूरिन पास करने की जरूरत
- कब्ज और पाचन संबंधी दिक्कतें
- पीठ और पैरों में दर्द
- पेट का आकार बढ़ जाना
- गर्भधारण में कठिनाई
अगर इन लक्षणों में से कोई लंबे समय तक बना रहता है, तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।
क्या बच्चेदानी में गांठ से गर्भधारण पर असर पड़ता है?
हर महिला के लिए इसका प्रभाव अलग-अलग हो सकता है।
- अगर गांठ छोटी है और गर्भाशय की अंदरूनी परत पर असर नहीं डाल रही, तो प्रेग्नेंसी संभव है।
- बड़ी गांठें गर्भाशय की दीवार को मोटा कर सकती हैं, जिससे भ्रूण का सही से इम्प्लांट होना मुश्किल हो सकता है।
- कुछ मामलों में, यह प्रीटर्म डिलीवरी (समय से पहले डिलीवरी) या मिसकैरेज का कारण बन सकती हैं।
अगर आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं और आपको फाइब्रॉइड्स की समस्या है, तो विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है। सही समय पर इलाज से इसे मैनेज किया जा सकता है।
गर्भाशय में गांठों का इलाज
इलाज का तरीका महिला की उम्र, लक्षणों की गंभीरता और भविष्य की फर्टिलिटी प्लान पर निर्भर करता है।
- दवाइयों से इलाज
- हार्मोनल दवाइयां गांठ को बढ़ने से रोक सकती हैं।
- दर्द और सूजन के लिए नॉन-हॉर्मोनल दवाइयां दी जा सकती हैं।
- हालांकि, दवाइयां सिर्फ लक्षणों को कम करती हैं, गांठ को पूरी तरह खत्म नहीं करतीं।
- सर्जरी वाले इलाज (Minimally Invasive Procedures)
- यूटराइन आर्टरी एम्बोलाइजेशन (UAE): इसमें उन रक्त वाहिकाओं को बंद कर दिया जाता है जो गांठ को पोषण देती हैं।
- एमआरआई-गाइडेड फोकस्ड अल्ट्रासाउंड: इसमें हाई-इंटेंसिटी अल्ट्रासाउंड से गांठ को सिकुड़ाया जाता है।
- मायोमेक्टॉमी: इसमें सिर्फ गांठ को हटाया जाता है, जिससे महिला प्रेग्नेंसी प्लान कर सकती है।
- हिस्टेरेक्टॉमी: अगर महिला आगे गर्भधारण नहीं चाहती, तो गर्भाशय को पूरी तरह निकाल दिया जाता है।
क्या बच्चेदानी में गांठ को रोका जा सकता है?
हालांकि इसे पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ उपाय अपनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।
- संतुलित आहार लें – हरी सब्जियां, फल और फाइबर युक्त भोजन से हार्मोन बैलेंस बना रहता है।
- जंक फूड से बचें – ज्यादा फैट और शुगर वाले फूड्स से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।
- व्यायाम करें – रोजाना 30 मिनट वर्कआउट करने से शरीर स्वस्थ रहता है और वजन नियंत्रित रहता है।
- तनाव कम करें – मेडिटेशन और योग हार्मोन संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
- ग्रीन टी और हल्दी का सेवन करें – इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम कर सकते हैं।
अगर आपको पहले से ही लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो घरेलू उपायों से ज्यादा डॉक्टर की सलाह लेना फायदेमंद रहेगा।
बच्चेदानी में गांठ एक आम समस्या है, लेकिन हर महिला पर इसका प्रभाव अलग-अलग हो सकता है। अगर समय पर सही जांच और इलाज कराया जाए, तो इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।
अगर आपको बार-बार भारी पीरियड्स, पेट में दर्द या गर्भधारण में समस्या हो रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें। डॉक्टर से परामर्श लेकर सही जांच और इलाज कराना जरूरी है।
अगर आपको अधिक जानकारी चाहिए या जांच करानी है, तो विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें।
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